5 सितंबर - शिक्षक दिवस

 5 सितंबर - शिक्षक दिवस                                          


  समाज को सही दिशा देने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। वह देश के भावी नागरिकों अर्थात् बच्चों के व्यक्तित्व संवारने के साथ - साथ उन्हें शिक्षित भी करता है। इसलिए शिक्षकों द्वारा किए गए श्रेष्ठ कार्यों का मूल्यांकन कर उन्हें सम्मानित करने का दिन ही शिक्षक दिवस कहलाता है। हालांकि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जो कि 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति भी रहे। उनके जन्म दिवस के अवसर पर ही शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वे सांस्कृतिक, दार्शनिक होने के साथ - साथ शिक्षा शास्त्री भी थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वे शिक्षा क्षेत्र से ही संबंधित थे। 1920 से 1921 तक उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में दर्शनशास्र के किंग जार्ज पंचम पद को सुशोभित किया। 1939 से 1948 तक वे विश्वविख्यात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर रहे। राष्ट्रपति बनने के बाद जब उनका जन्म दिवस सार्वजनिक रूप से आयोजित करना चाहा तो उन्होंने जीवन का अधिकार समय शिक्षक रहने के नाते इस दिवस को शिक्षकों का सम्मान करने हेतु शिक्षक दिवस मनाने की बात कही। उस समय से प्रतिवर्ष यह दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।                                                                              शिक्षकों द्वारा किए गए श्रेष्ठ कार्यों का मूल्यांकन कर उन्हें सम्मानित करने का भी यही दिन है। इस दिन स्कूलों कॉलेजों में शिक्षक का कार्य छात्र खुद ही संभालते हैं। इस दिन राज्य सरकारों द्वारा अपने स्तर पर शिक्षण के प्रति समर्पित और छात्र छात्राओं के प्रति अनुराग रखने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। शिक्षक राष्ट्रनिर्माण में मददगार साबित होते है वहीं वे राष्ट्रीय संस्कृति के संरक्षक भी हैं। वे बालकों में सुसंस्कार तो डालते ही हैं उनके अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर कर उन्हें देश का श्रेष्ठ नागरिक बनाने का दायित्व भी वहन करते हैं। शिक्षक राष्ट्र के बालकों को न केवल साक्षर ही बनाते हैं बल्कि अपने उपदेश द्वारा उनके ज्ञान का तीसरा नेत्र भी खोलते हैं। वे बालकों में हित - अहित, भला - बुरा सोचने की शक्ति उत्पन्न करते हैं। इस तरह वे राष्ट्र के समग्र विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।                                                                                 शिक्षक उस दीपक के समान हैं जो अपनी ज्ञान ज्योति से बालकों को प्रकाश मान करते हैं। महर्षि अरविंद ने अपनी एक पुस्तक जिसका शीर्षक 'महर्षि अरविंद के विचार ' में शिक्षक के संबंध में लिखा है अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के माली होते हैं वे संस्कार की जड़ों में खाद देते हैं। और अपने श्रम से उन्हें सींच - सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं। इटली के एक उपन्यासकार ने शिक्षक के बारे में कहा है कि शिक्षक उस मोमबत्ती के समान है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देती है। संत कबीर ने तो गुरु को ईश्वर से भी बड़ा माना जाता है। उन्होंने गुरु को ईश्वर से बड़ा मानते हुए कहा है कि ---                                   
गुरु गोविंद दोऊ खड़े,  काके लागूं पाय।                   बलिहारी गुरु आपने,  गोविंद दियो मिलाए।।             शिक्षक को आदर देना समाज और राष्ट्र में उनकी कीर्ति को फैलाना केंद्र व राज्य सरकारों का कर्तव्य ही नहीं दायित्व भी है। इस दायित्व को पूरा करने का शिक्षक दिवस एक अच्छा दिन है।

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सभी गुरुजनो कोSmart knowledge bank



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